शिवकुमार शर्मा
क्यारटू/ढकरियाणा सोलन (हिमाचल प्रदेश)
स्वर्णिम साहित्य साहित्य का महान मञ्च है ये, यहां कवियों को पूजा जाता है। हर छोटी बड़ी रचना को, स्वर्णाक्षरों में उकेरा जाता है। मन प्रफुल्लित हो उठता है, अपनी रचना को सुंदर सजा देख। सजकर बैठी हो मानों बिटिया, अपने ही विवाह मण्डप पर। सब पाठक ज्यों बाराती हैं, दुल्हन के सौंदर्य पर मंत्रमुग्ध हुए। खामोश जनक भी मन्द मन्द मुस्काता है फिर, अपनी सृष्टि के सौंदर्य की श्लाघना के शब्द लिए।